भारत में करीब 27% मृत्यु की वजह CVD या कार्डियोवैस्कुलर डिजीज यानि की ह्रदय के रोग है, और 40-69 साल के बीच करीब 45% लोग ऐसे है जो ह्रदय रोग से पीड़ित है। बढ़ता हुआ रक्तचाप इन हृदय रोगो की एक प्रमुख वजह है। उच्च रक्तचाप जहा पहले अधिकतर बढ़ती उम्र के साथ होता था वही आजकल यह उम्र की सीमाओं को ख़त्म कर जवानो में भी सक्रिय हो गया है। यह एक ऐसी स्वास्थ्य समस्या है जो कोई भी अग्रिम लक्षण नहीं दिखता जिस कारण इसको नियंत्रित करना काफी मुश्किल है। इसी मुश्किल को आसान करने के लिए आयुर्वेद में कई सारी जड़ी बूटियों का उल्लेख है उनमे से ही एक है जटामांसी। इस लेख में हम ब्लड प्रेशर नियंत्रित करने के लिए जटामांसी के फायदे और इसके उपयोग की बात करेंगे।
जटामांसी क्या है?
जटामांसी एक आयुर्वेदिक पौधा है, जो हिमालय के आस पास पाया जाता है। यह प्राकृतिक जड़ीबूटी अत्यधिक गुणकारी तथा लाभदायक है। पारम्परिक चिकित्सा पद्धति जैसे आयुर्वेद में मुख्यतः इसकी जड़ का प्रयोग किया जाता है। इसमें कई महत्वपूर्ण रासायनिक तत्व होते है, जैसे कि नर्डोल, नर्डोस्टाच्योल, और हाइड्रोफोल, जो इसे औषधिये गुणों से भरपूर बनाते है।
जटामांसी के फायदे
आयुर्वेदिक दवाओं का इस्तेमाल नया नहीं है करीब 5000 हज़ार साल से आयुर्वेद का उपयोग किया जा रहा है। और जब बीपी नियंत्रण के लिए आयुर्वेदिक उपचार की बात हो तो जटामांसी का उल्लेख करे बिना वह चर्चा ख़त्म नहीं हो सकती। आगे हम बात करेंगे कैसे यह उच्चरक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है।
नर्व फाइबर्स को शांत करता है
जटामांसी का सबसे बड़ा गन यह है को यह हमारे नर्व फाइबर्स को शांत करता है। हाई ब्लड प्रेशर अक्सर मानसिक तनाव या चिंता के कारण बढ़ता है। इस जड़ी बूटी के सेवन से मानसिक शांति मिलती है और तनाव को कम करने में मदद मिलती है, जिससे ब्लड प्रेशर को भी कम किया जा सकता है। यह एक प्राकृतिक एंटी-डिप्रेसेंट के रूप में कार्य करता है, जिससे रक्तचाप में स्थिरता आती है।
हृदय स्वास्थ्य में सुधार
इसका नियमित सेवन हृदय के स्वास्थ्य को भी सुधारने में भी सहायक है। यह रक्त वाहिकाओं के स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है, जिससे रक्त संचार में सुधार होता है और रक्तदाब सामान्य रहता है। यह एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरा है, जो ह्रदय की कार्यप्रणाली को बेहतर बनता है और दिल की बीमारियों से बचाव करते हैं। इन्ही सब करने से इसे कई सारी हाई बीपी कंट्रोल करने की दवा में भी इस्तेमाल किया जाता हैं।
वसोडाइलेशन (रक्त वाहिकाओं का चौड़ा होना)
जटामासी रक्त वाहिकाओं को फैलाने में मदद करता है, जिससे रक्त प्रवाह सामान्य होता है। जब रक्त वाहिकाएं संकुचित होती हैं, तो रक्तचाप बढ़ता है, लेकिन जटामांसी के सेवन से इनकी दीवारों को आराम मिलता है और रक्त प्रवाह में सुधार होता है, जिससे उच्च रक्तचाप को नियंत्रित किया जा सकता है।
एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण
इस जड़ी बूटी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते है, जो शरीर में सूजन को कम करते है। सूजन शरीर में विभिन्न बीमारियों को जन्म देती है, और यह रक्तचाप को बढ़ने का एक कारण भी हो सकता है। इसका सेवन सूजन को कम करके रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है।
ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करने में सहयक हैं
ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस रक्तचाप को बढ़ा सकता है, लेकिन इसका सेवन करने से यह प्रवाह कम हो जाता है। यह शरीर में फ्री रेडिकल्स की संख्या को नियंत्रित करता है, जिससे हृदय और रक्त वाहिकाओं का स्वास्थ्य बेहतर बना रहता है।
इन्ही सब कारणों की वजह से जटामांसी को हाई ब्लड प्रेशर के लिए सबसे अच्छी जड़ी-बूटी माना जाता है।
जटामांसी का उपयोग कैसे करें?
ब्लड प्रेशर कम करने के आयुर्वेदिक उपायो की अगर बात करे तो जटामांसी की बात करना जितना आवश्यक है उतना ही आवशयक है इसका सही उपयोग करना। निम्नलिखित तरीको की सहयता से आप आसानी से इसका उपयोग अपनी दिनचर्या में कर सकते हो।
- जटामंसी का उपयोग पाउडर के रूप में किया जा सकता है। इसको आप गरम पानी में मिलकर रोज़ाना उपयोग कर सकते हो।
- इसका तेल बाजार में आसानी से मिल सकता है। जिसका नियमित रूप से सर पर मालिश करने से तनाव से आराम मिल सकता है।
- इसका इस्तेमाल चाय के साथ भी किया जा सकता है। जैसे आप चाय बनाने के लिए अदरक या तुलसी का इस्तेमाल करते हो वैसे ही आप इसको भी चाय में डालकर इस्तेमाल कर सकते हो।
अन्य जड़ी बूटीयो के साथ मिश्रण
- ब्राम्ही के साथ जटामांसी का मिश्रण मानसिक कार्यक्षमता और याददाश्त को बढ़ाता है। यह तंत्रिका तंत्र को शांत करता है और ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है।
- अर्जुन छाल और जटामांसी का मिश्रण करके रोज़ सेवन से हृदय प्रणाली को भी मजबूत किया जा सकता है, जिससे उच्च रक्तचाप के लक्षणों में राहत मिल सकती है।
- दालचीनी के साथ जटामांसी का मिश्रण उच्च रक्तचाप को कम करने में मदद करता है क्योंकि यह रक्त वाहिकाओं को संकुचित होने से रोकता है और रक्त प्रवाह को सामान्य करता है।
निष्कर्ष
हाई ब्लड प्रेशर आजकल एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन गयी है, लेकिन बीपी नियंत्रण के लिए आयुर्वेदिक उपचार जैसे जटामांसी का उपयोग इसे नियंत्रण में रखने में सहायक हो सकता है। यह जड़ी बूटी शारीरिक और मानसिक शांति को बढ़ने के साथ-साथ रक्तचाप को नियंत्रित करने की अद्भुत क्षमता है। इसके नियमित उपयोग से आप रक्तचाप को स्थिर रख सकते है और ह्रदय स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं।
FAQ
हाई ब्लड प्रेशर क्या है और इसे कैसे नियंत्रित किया जा सकता है?
हाई ब्लड प्रेशर वह स्थिति है जब रक्त प्रवाह की गति सामान्य से अधिक हो, जिससे दिल और रक्त वाहिकाओं पर दबाव पड़ता है।
हाई ब्लड प्रेशर के लिए सबसे प्रभावी आयुर्वेदिक औषधियां कौन सी हैं?
आयुर्वेदिक औषधियां जैसे अर्जुन छाल, ब्राम्ही, दाल चीनी और जटामांसी प्रभावी होती हैं।
जटामांसी क्या है और यह हाई ब्लड प्रेशर में कैसे मदद करता है?
जटामांसी एक औषधीय पौधा है जिसका उपयोग मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारने के लिए किया जाता है।
जटामांसी का उपयोग ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में कितना प्रभावी है?
जटामांसी का उपयोग रक्त वाहिकाओं को आराम देने और रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है।
जटामांसी के सेवन से क्या कोई साइड इफेक्ट हो सकते हैं?
जटामांसी के सेवन से कुछ लोगों में हल्के साइड इफेक्ट्स जैसे आलस्य, चक्कर आना या मतली हो सकते हैं।